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शुक्रवार, 20 सितंबर 2013

हंगामे आरज़ू

हाँ  बादे तर्के इश्क़   भी  इक  हादसा  हुआ
देखा  उन्हें  तो  हश्र सा  दिल  में  बपा  हुआ

अब  उसके  बाद  पूछ  न  क्या  माजरा  हुआ
अपनी  ख़ता  पे  सर  था  किसी  का  झुका  हुआ

ज़ुल्फों  में  ख़ाके राह  गिरेबां  फटा  हुआ
दूर  आ  गया  जुनूं  में  तुझे  ढूंढता  हुआ

पूछा  जो  उनसे  कौन  था  पहलू  में  ग़ैर  के
मारे  हया  के  फिर  न  उठा  सर  झुका  हुआ

हंगामे आरज़ू  न  हुआ  ख़त्म  जीते  जी
मर कर  के  ख़्वाहिशों  का  मेरी  फ़ैसला  हुआ

देखा  जो  उसने  लुत्फ़  से  'राजन'  रक़ीब  को
पहलू  से  ख़ून  हो  के  मेरा  दिल  जुदा  हुआ

                                                             -चित्रेन्द्र  स्वरूप  'राजन'

शब्दार्थ: बादे तर्के इश्क़: प्रेम-परित्याग के बाद; हादसा: दुर्घटना; हश्र: प्रलय; बपा: उठा हुआ; माजरा: घटना;  ख़ता: दोष, भूल; 
ख़ाके राह: रास्ते की धूल; गिरेबां: उपरिवस्त्र; जुनूं: उन्माद; पहलू: गोद; हया: लज्जा; हंगामे आरज़ू: इच्छाओं का शोर; लुत्फ़: रुचि;  
रक़ीब: प्रतिद्वंदी। 




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